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गुरुवार, 15 अगस्त 2019

Gati ya Adhogati गति या अधोगति




भगवान् शंकर और माता भवानी के चरणों में अपना मस्तक रखते हुये तथा ऋषि पराशर जी के वचनों में श्रद्धा रखते हुये, आज मैं ज्योतिषशास्त्र के उन तीन गुप्त रहस्यों को प्रकट करने जा रहा हूँ जिसके विषय में जानने की हर मनुष्य की इच्छा होती है, वह तीन रहस्य इस प्रकार से हैं -

१- मनुष्य किस लोक से पृथ्वी पर आया है ?

२- मृत्यु के पश्चात उसके शव की क्या गति होगी ?

३- मृत्यु के पश्चात वह किस लोक को जायेगा ? 

रविचन्द्रबलाक्रांन्तम् त्र्यंशनाथे गुरौ जनः।
देवलोकात् समायातो विज्ञेयो द्विजसत्तम।।
शुक्रेन्द्वो: पितृलोकात्तु मर्त्याच्च रविभौमयोः।
बुधSSकर्योर्नरकादेवं जन्मकालाद्वदेत् सुधी:।।
अर्थात
रवि और चन्द्रमा जो बली हों वह यदि गुरु के द्रेष्काण में हों तो जातक देवलोक से आया है,अर्थात जन्म लेने से पूर्व वह देवलोक में रहता था, ऐसा जानना चाहिये। यदि शुक्र या चन्द्रमा के द्रेष्काण में हो तो वह पितृलोक (चन्द्रलोक) से आया है। इसी प्रकार यदि सूर्य-मंगल के द्रेष्काण में मर्त्यलोक से एवं बुध या शनि के द्रेष्काण में हो तो वह जातक नरक से आया है, ऐसा जानना चाहिये।

अग्न्यम्बु मिश्रभत्र्यंशैर्ज्ञेयो मृत्युरगृहाश्रितै:।
परिणामः शवस्याSत्र भस्मसंक्लेदशोषकै:।।
व्यालवर्गदृकाणयैस्तु विडम्बो भवति ध्रुवम्।
शवस्य स्वश्रृगालाधैर्गध्रकाकादिपक्षिभि:।।
अर्थात
लग्न से अष्टम स्थान में अग्नि तत्व वाले ग्रह का द्रेष्काण हो अर्थात अशुभ ग्रहों का द्रेष्काण हो तो जातक का शव अग्नि में जलाया जाता है। जलचर वाले ग्रह का द्रेष्काण हो तो जल में फेंका जाता है, मिश्र अर्थात शुभ-अशुभ ग्रहों का द्रेष्काण रहने से जातक का शव सूख जाता है। यदि व्याल (सर्प) द्रेष्काण हो तो कुक्कुर,श्रृगालादि हिंसक जंतुओं से या कौवा आदि पक्षियों से चञ्चु द्वारा चोंच से नोचकर शव का भक्षण किया जाता है।

गुरुश्चन्द्रसितौ सूर्यभूमौ ज्ञार्की यथाक्रमम्।
देवेन्दुभूम्यधोलोकान् न्यन्त्यस्तारिरंध्रगा:।।
अर्थात
लग्न से ६,७,८ भावों में गुरु (ब्रहस्पति) गया हो तो जातक देवलोक में जाता है एवं उक्त स्थानों में चंद्रमा-शुक्र हो तो जातक चंद्रलोक (पितृलोक) में जाता है तथा सूर्य-मंगल हो तो मर्त्य ( भूलोक) में और बुध-शनि उक्त स्थानों में स्थित हों तो जातक मरण के अनंतर अधोलोक (नरक) में जाता है । उक्त स्थानों में अधिक ग्रह बैठे हों तो जो ग्रह सार्वधिक बली हो वह ग्रह जिस लोक का कारक हो, जातक मरण के बाद उसी लोक में जाता है।

''शिवार्पणमस्तु"
-Astrologer Manu Bhargava

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