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रविवार, 16 मई 2021

शार्ली एब्दो के हिन्दू विरोधी कार्टून का उत्तर

भारत में कोविड-19 महामारी की विनाशकारी दूसरी लहर के बीच ऑक्सीजन संकट के लिए भारतीयों, विशेष रूप से हिंदुओं का उपहास उड़ाने वाला एक कार्टून बनाया गया है । इस कार्टून में भारतीयों को पृथ्वी पर लेटे, ऑक्सीजन के लिए छटपटाते हुए दिखाया गया है।

इस कार्टून को फ्रांसीसी व्यंग्य पत्रिका 'शार्ली एब्दो' द्वारा प्रकाशित किया गया है, जिसमें हिंदू देवताओं पर कटाक्ष करते हुए पूछा गया है कि वह कोविड की दूसरी लहर में अपने धर्म के लोगों की सहायता क्यों नहीं कर सके।

 शार्ली एब्दो के कार्टून के साथ एक लाइन भी है जिसमें लिखा है, ”भारत में 33 करोड़ देवता और एक भी ऑक्सीजन पैदा करने में सक्षम नहीं ।”

शार्ली एब्दो पत्रिका को हम उन लोगों की भांति उत्तर नहीं देंगे, जिन्होंने अपने पैगम्बर का कार्टून बनाये जाने पर, जनवरी 2015 में फ्रांस के सबसे प्रसिद्ध कार्टूनिस्टों सहित 17 व्यक्तियों को मौत के घाट उतार दिया था।

ऐसी प्रतिक्रिया देना हम हिंदुओं के संस्कारों में इसलिये नहीं है क्योंकि हमारे यहां तो अनादि काल से ही शास्त्रार्थ की परंपरा रही है, जिसमें यह व्यवस्था की हुई है कि हमारे मत का विरोधी व्यक्ति भी आकर हमारे धर्म ग्रन्थों पर हमें शास्त्रार्थ के लिए चुनौती दे सकता है।

हम उस धर्म का पालन करने वाले मनुष्य हैं जहां भगवान विष्णु की छाती में लात मारकर उन्हें अपमानित करने के पश्चात भी उनके स्नेह का पात्र बन जाने वाले भृगु जैसे ऋषि भी हुए हैं तो अपने फरसे के प्रहार से गणेश जी का दंत तोड़ने वाले भगवान परशुराम जी भी।

अपने भगवान का निरादर करने वाले किसी मनुष्य के साथ हम इस कारण से भी हिंसा नहीं करते कि इस मनुष्य में एक दिन ईश्वरीय चेतना जाग्रत होगी और यह धर्म के मार्ग पर आ जायेगा ।

किन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि हमें सनातन धर्म की मर्यादा के अनुरूप किसी विधर्मी को उत्तर देने का अधिकार प्राप्त नहीं है। अतः ईश्वर की प्रेरणा से मैं शार्ली एब्दो को अपने धर्म की मर्यादा के अनुरुप उत्तर देने जा रहा हूँ।

तो सुनो ! हे "शार्ली एब्दो" के कार्टूनिस्टों- सर्वप्रथम तो यह जान लो कि वर्तमान में हम भारतीय जिस मानव निर्मित संविधान से अपना जीवन यापन कर रहे हैं, वह सनातन धर्म के बनाये गए नियमों से नहीं चलता ।

सनातन धर्म ने हमारे लिए जो संविधान बनाया था वह हमारे वेदों, उपनिषदों, पुराणों और शास्त्रों के सम्मिश्रण से बना है, जिसका पालन करने पर न तो वायु ही दूषित होती, न ही जल ! क्योंकि उस संविधान के अनुसार तो हम हर उस प्राकृतिक वस्तु का संरक्षण करते आये थे जो मानव जाति ही नही समस्त जीवों के लिए हितकारी हैं।

हे "शार्ली एब्दो"- यदि यह देश वैदिक संविधान से चलता तो यहां न नदियां दूषित होतीं, न ही ऑक्सीजन देने वाले वृक्षों का कटान होता, न ही अपनी जिव्हा के क्षणिक स्वाद के लिए पशुओं का वध होता और इसके विपरीत हर घर मे यज्ञ में आहुतियों के रूप में आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का प्रयोग होता, जिससे कोरोना वायरस तो छोड़िए उसके पिताजी भी इस वायुमंडल में जीवित न रहते।

हे शार्ली एब्दो - यदि यह देश वैदिक संविधान से चलता तो आज देशी गाय के गोबर की खाद से खेती हो रही होती और उससे उत्पन्न होने वाली सब्जियां और अनाज खाकर हमारी रोग प्रतिरोधी क्षमता ऐसी होती कि हम न केवल दीर्घायु होते, हमारी संताने भी निरोगी होतीं।

यह देश यदि वैदिक संविधान से चलता तो यज्ञों में पड़ने वाले 'देशी गाय के दुग्ध से निर्मित घी' की आहुतियों से हमारे समस्त देवी-देवता प्रसन्न होते और प्रसन्न होकर भारत ही नहीं तुम्हारे फ्रांस को भी निरोगी होने का आशीर्वाद देते और केवल हमें ही नहीं आपको भी कभी आक्सीजन की कमी से मरने न देते।  

तो हे 'शार्ली एब्दो', यह भारत देश 'ईश्वर और देवी देवताओं' के बनाये गए संविधान से चल कहाँ रहा है जो वह हिंदुओं की सहायता करने आएं और आकर हमारे लिए ऑक्सीजन का निर्माण करें ।

वैसे आपको मैं यह बात बता दूं कि हमारे देवी-देवताओं का कार्य ऑक्सीजन का निर्माण करना नहीं है, उसके लिए उन्होंने वृक्ष बनाये हैं, जिनका संरक्षण न कर पाना हमारी भयानक भूल है, जिसके लिए हम अपने देवी-देवताओं को उत्तरदायी नहीं ठहरा सकते। 

अतः आप हम हिंदुओं को व्यर्थ का ज्ञान न दें और अपनी ऊर्जा का व्यय फ्रांस को आने वाले संकटों से बचाने में करें तथा जिस चीन ने अपने पालतू और बिके हुए वैश्विक संगठनो के साथ मिलकर कोरोना वायरस को पूरे विश्व में वायरल करके उनकी अर्थव्यवस्थाओं को नष्ट करने का कुचक्र रचा है, यदि हो सके तो उसके विरुद्ध अपनी चोंच खोलने का प्रयास करें, जिससे फ्रांस की जनता भी आप पर गर्व कर सके ।

"शिवार्पणमस्तु"

-Astrologer Manu Bhargava