Translate

सोमवार, 1 अगस्त 2022

पंचदेवोपासना



प्राचीन 'सनातन वैदिक आर्य सिद्धान्त' के अनुसार कौन हैं 'पंचदेव' और क्यों करते हैं 'पंचदेवों' की साधना ?

वस्तुतः परब्रह्म परमेश्वर ही पंचदेवों के रूप में व्यक्त हैं तथा सम्पूर्ण चराचर जगत में भी वही व्याप्त हैं।

वेदानुसार निराकार ब्रह्म के साकार रूप हैं पंचदेव—

परब्रह्म परमात्मा (आदि शक्ति) निराकार व अशरीरी हैं, अत: साधारण मनुष्यों के लिए उनके स्वरूप का ज्ञान असंभव है इसलिए निराकार ब्रह्म ने अपने साकार स्वरूप को ५ महान शक्तियों के रूप में प्रकट किया और उनकी उपासना करने का विधान निश्चित किया। निराकार परब्रह्म की यही ५ शक्तियां 'पंचदेव' कहलाती हैं

हमारे शास्त्रों में इन पंचदेवों की मान्यता पूर्ण ब्रह्म के रूप में है, जिनकी साधना से पूर्ण ब्रह्म की ही प्राप्ति होती है। इसलिये अपनी-अपनी अभिरुचि के अनुसार इन पंचदेवों में से किसी एक को अपना इष्ट देव मानकर उनकी उपासना करने का विधान है।

यह पंचदेव हैं–गणेश, शिव, शक्ति, विष्णु और सूर्य।

इनमें से गणपति के उपासक–गाणपत्य , शिव के उपासक–शैव, शक्ति के उपासक–शाक्त, विष्णु के उपासक–वैष्णव तथा सूर्य के उपासक–सौर कहे जाते हैं और जो मनुष्य इन पांचों देवी-देवताओं की उपासना करते हैं उन्हें 'स्मार्त' कहा जाता है।

अत्यन्त हास्यास्पद बात है कि निराकार परब्रह्म परमेश्वर की जो शक्तियां भिन्न होकर भी एक ही शक्ति का अंश हैं उनके नाम पर बनने वाले सम्प्रदाय आपस में एक दूसरे के देवी-देवताओं को नीचा दिखाने का कार्य करते हैं जबकि इन सम्प्रदायों के निर्माण का उद्देश्य मानव को उसकी अभिरुचि के अनुसार साधना के मार्ग पर आगे बढ़ाकर सद्गति प्राप्त करवाना था।

अति तो तब हो गई जब इन पंचदेवों की शक्तिशाली ऊर्जा से उत्पन्न होने वाले 'अवतारों' के नाम पर भी नए-नए सम्प्रदाय अस्तित्व में आ गए, जिसमें से कुछ तो प्राचीन ज्ञान परम्परा का अनुसरण करते हैं किन्तु अधिकांश का प्राचीन सनातन ज्ञान परम्परा से कोई लेना-देना ही नहीं है और इनका उद्देश्य केवल अपने चेलों की संख्या बढ़ाकर अपने-अपने 'Cult' के महान गुरु की पदवी प्राप्त करके सनातनी जनता से धन ऐंठना मात्र है।

वस्तुतः कलियुगी व्यक्ति-विशेषों द्वारा बनाए गए इन 'Cults' को सम्प्रदायों की श्रेणी में रखना भी इन पंचदेवों की साधना के लिए बनाए गए प्राचीन सम्प्रदायों का अपमान करना ही है। इस विषय पर मेरे यह ब्लॉग देखें—

https://astrologermanubhargav.blogspot.com/2020/04/blog-post_28.html 

https://astrologermanubhargav.blogspot.com/2019/07/dharm-yudh.html


इस प्रकार यहां मैंने पंचदेवों और उनकी साधना के विषय में वर्णन किया जिससे सभी सनातनी भाई-बहन विभिन्न Cults के प्रपंच में पड़ने के स्थान पर अपने मूल 'सनातन वैदिक आर्य सिद्धांत' का अनुसरण करके मुक्ति प्राप्त कर सकें।

 (शिवार्पणमस्तु)

-Astrologer Manu Bhargava