तंत्र शास्त्र के महान ग्रंथ 'मन्त्र महोदधि' में वर्णित मन्त्रों के तीन प्रकार -
पुंस्त्रीनपुंसका: प्रोक्ता मनवस्त्रिविधा बुधै ।
वषडंताः फडन्ताश्च पुमांसो मनवः स्मृता ।।
वौषट स्वाहान्तगा नार्यो हुम् नमोन्ता नपुंसका:।
वश्योच्चाटनरोधेषु पुमांस: सिद्धिदायका:।।
क्षुद्रकर्मरुजां नाशे स्त्रीमन्त्रा: शीघ्रसिद्धिदा: ।
अभिचारे स्मृता क्लीबा एवं ते मनवस्त्रिधा ।।
अर्थात-
विद्वानों ने पुरुष, स्त्री, और नपुंसक भेद से तीन प्रकार के मंत्र कहे हैं।
जिन मंत्रों के अंत मे 'वषट' अथवा 'फट' हों वे पुरुष मंत्र हैं। 'वौषट' और 'स्वाहा' अंत वाले मंत्र स्त्री तथा हुम् एवं नमः वाले मंत्र नपुंसक मंत्र कहे गए हैं।
वशीकरण, उच्चाटन एवं स्तम्भन में पुरुष मंत्र, क्षुद्रकर्म एवं रोग विनाश में स्त्री मंत्र तथा अभिचार( मारण आदि) प्रयोग में नपुंसक मंत्र सिद्धिदायक कहे गए हैं। इस प्रकार से मंत्रो के तीन भेद होते हैं।
''शिवार्पणमस्तु"
-Astrologer Manu Bhargava
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें