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बुधवार, 27 सितंबर 2023
मंगल-केतु युति २०२३
सोमवार, 8 मई 2023
मंगल का अपनी नीच राशि 'कर्क 'में प्रवेश (२०२३)—
१० मई २०२३ दोपहर १ बजकर ३९ मिनट पर गोचर में मंगल अपनी नीच राशि 'कर्क' में प्रवेश करने जा रहे हैं और वह १ जुलाई २०२३ प्रातः २ बजकर १६ मिनट तक वहीं संचार करेंगे तत्पश्चात् अपनी मित्र राशि 'सिंह' में प्रवेश करेंगे ।
अपने इस राशि परिवर्तन के साथ ही मंगल स्वयं राहु अधिष्ठित राशि के स्वामी होकर राहु के ही केंद्रीय प्रभाव में आ जाएंगे और शनि के साथ षडाष्टक योग भी बना लेंगे । मंगल-शनि का यह षडाष्टक योग संसार के लिए विशेष पीड़ादायक होता है अतः इस योग का दुष्प्रभाव सभी जातकों के ऊपर पड़ेगा ।
मंगल के नीच राशि में गोचर करने तथा शनि के साथ यह षडाष्टक योग बन जाने से इस अवधिकाल में विश्व भर में हिंसा, आगजनी जैसी घटनाओं में वृद्धि होगी और विश्व भर से ट्रेन पलटना, प्लेन क्रैश होना तथा गैस पाइप लाइन में आग लग जाना जैसी अशुभ सूचनाएं प्राप्त होंगी इसके अतिरिक्त सामान्य से कहीं अधिक सड़क दुर्घटनाएं होने के आंकड़े भी प्राप्त होंगे। अतः विद्वान मनुष्यों को इस अवधिकाल में निजी वाहनों से लंबी दूरी की यात्राओं से यथा संभव बचना चाहिए, घरेलू महिलाओं को गैस सिलेण्डर का उपयोग करते समय विशेष सावधानी रखनी चाहिए तथा आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासन को विशेष प्रबन्ध करने चाहिए।
राहु अधिष्ठित राशि के स्वामी होकर अपनी नीच राशि में रहने के कारण मंगल के दुष्प्रभावों में एक विशेष विध्वंसकारी शक्ति आ गई है जिसके फलस्वरूप ऐसा मंगल गोचर में जातकों की जन्मकुंडलियों के जिस-जिस भावों का स्वामी होकर जिन-जिन भावों में जाएगा और यह सभी भाव शरीर के जिन अंगों, कारक तत्वों तथा सगे-संबंधियों का प्रतिनिधित्व करते हैं उन सभी के लिए हानिकारक सिद्ध होगा।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्मकुंडली में मंगल की अशुभ स्थिति होने से जातक को जो रोग, चोट, दुर्घटनाएं प्राप्त होती हैं, इस अवधिकाल में उसमें अधिकता देखी जाएगी । जन्मकुंडली में १२ भावों तथा मंगल से होने वाले रोगों के विषय में जानने के लिए मेरा यह ब्लॉग देखें
https://astrologermanubhargav.blogspot.com/2020/04/blog-post.html
राहु अधिष्ठित राशि के स्वामी होकर 'मन की राशि' में संचार करते हुए मंगल की मारक क्षमता के प्रभाव से जीवों के मन में हिंसा की भावना जन्म लेगी जिससे इस अवधिकाल में एक दूसरे के प्रति हिंसा में अत्यधिक वृद्धि होगी जिसके फलस्वरूप विश्व भर में हिंसा-रक्तपात और यहां न लिख सकने वाली अनेक अशुभ घटनाएं घटित होंगी ।
मंगल शल्य चिकित्सा का कारक ग्रह है जब यह अशुभ स्थिति में होता है तब विश्व भर में ऑपरेशन होने की संख्या में अत्यधिक वृद्धि होती है अतः चिकित्सकों के लिए यह समय व्यस्ततापूर्ण रहेगा ।
ब्लॉग का विस्तार न हो यह देखते हुए तथा समय के अभाव में सभी राशि-लग्नों वाले जातकों का भविष्यफल इस ब्लॉग में बताना संभव नहीं है अतः मंगल के इस विनाशकारी गोचर से सभी जातकों के बचाव के लिए कुछ उपायों का मैं यहां उल्लेख कर रहा हूँ ।
- हनुमान जी की उपासना करें ।
- रक्त वर्ण की देशी गाय की सेवा करें तथा उसे गुड़ का सेवन करवाएं ।
- मंगल के उस मंत्र का जाप करें जिसके लिए आप अधिकृत हैं ।
- गुड़, घी, लाल मसूर की दाल, तांबे का पात्र, अनार, गेंहू, लाल वस्त्र आदि वस्तुओं का दान किसी ऐसे मंदिर में करें जिसमें शास्त्र मर्यादा का पालन करने वाले वेदपाठी ब्राह्मण विद्वानों की नियुक्ति की गई हो ।
- अपने छोटे भाइयों को उनकी प्रिय वस्तु भेंट करें (ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 'मंगल' छोटे भाई का कारक होता है) ।
- स्वयं रक्त वर्ण के वस्त्र धारण करने से बचें।
"शिवार्पणमस्तु"
—Astrologer Manu Bhargava
बुधवार, 27 अप्रैल 2022
शनि का अपनी मूलत्रिकोण राशि 'कुंभ' में प्रवेश
शुक्रवार, 8 अप्रैल 2022
सूर्य के 'उच्च राशि' में प्रवेश के पश्चात भी संकट का कारण बनेगी सूर्य-राहु युति...
सोमवार, 21 मार्च 2022
राहु-केतु का राशि परिवर्तन 2022
गोचर में 12 अप्रैल 2022 को प्रातः 11 बजकर 17 मिनट पर (दिल्ली समयानुसार) अपनी वक्री गति से राहु व केतु क्रमशः 'वृष व वृश्चिक' राशि से निकलकर 'मेष व तुला' राशि में प्रवेश करेंगे, जहाँ वह 30 अक्टूबर 2023 दोपहर 2 बजकर 12 मिनट तक संचार करेंगे तत्पश्चात क्रमशः 'मीन व कन्या' राशि में चले जायेंगे। लगभग 18 महीने के इस अवधिकाल में राहु-केतु, सवा दो-सवा दो नक्षत्रों में संचार करेंगे जिसके कारण सभी जातकों को इनके भिन्न-भिन्न परिणाम देखने को प्राप्त होंगे।
राशि परिवर्तन के आरम्भ में राहु- सूर्य के नक्षत्र 'कृतिका', तत्पश्चात शुक्र के नक्षत्र 'भरणी' और केतु के नक्षत्र 'अश्वनी' में संचार करेगा और केतु- गुरु के नक्षत्र 'विशाखा', तत्पश्चात राहु के नक्षत्र 'स्वाति' और मंगल के नक्षत्र 'चित्रा' में प्रवेश करेगा ।
राहु-केतु खगोलीय दृष्टि से कोई ग्रह भले ही ना हों किन्तु ज्योतिष शास्त्र में इनका बहुत अधिक महत्व है। यह दोनों ग्रह एक दूसरे के विपरीत बिंदुओं पर समान गति से गोचर करते हैं। अपना कोई भौतिक आकार ना होने के कारण राहु-केतु को छाया ग्रह माना जाता है। राक्षस जाति और स्वभाव से क्रूर होने के कारण शनि के साथ-साथ इन दोनों ग्रहों को भी पापी ग्रहों की संज्ञा दी गयी है। यह दोनों ग्रह जिस राशि तथा जिस ग्रह के साथ स्थित होते हैं, उनकी भी छाया ग्रहण कर लेते हैं और अपने मारक प्रभावों के अतिरिक्त उनके जैसा प्रभाव भी देने लगते हैं। यदि यह बृहस्पति जैसे शुभ ग्रह के साथ आ जाएँ तो स्वयं तो अपने स्वभाव में शुभता ले आते हैं परन्तु बृहस्पति को दूषित करके गुरु-चांडाल दोष बना देते हैं और ऐसा बृहस्पति भी अपनी दशा-अन्तर्दशा में अशुभ फल देने लगता है।
यदि यह शनि जैसे पापी अथवा सूर्य, मंगल जैसे क्रूर ग्रहों के साथ बैठ जाते हैं तो उनकी छाया लेकर अपने पापत्व और क्रूरता में कई गुना वृद्धि करके जातक का जीवन नष्ट कर देते हैं। ऐसे राहु-केतु जातक की जन्म-कुंडली में जिस भी भाव पर बैठ जाते हैं, वहां के सभी शुभ फलों को पूर्णतः नष्ट कर देते हैं और वह भाव तथा उसमें स्थित राशि जिन शाररिक अंगों को बनाती है उन अंगों में भयानक रोग प्रकट कर देते हैं।
यह दोनों पापी ग्रह जिस नक्षत्र में होते हैं वह नक्षत्र शरीर के जिस अंग को बनाता है उस अंग में बार-बार कोई समस्या आती रहती है। यही कारण है कि बहुत सारे लोगों के बार-बार एक ही अंग में चोट लगना, पीड़ा होना अथवा ऑपरेशन होने जैसी समस्या अधिकांशतः हमें देखने को मिलती रहती हैं।
मैंने अपने ज्योतिष के Professional Career में ऐसी अनेक जन्म-कुंडलियों का विश्लेषण करके यह अनुसन्धान किया है कि राहु-केतु की युति जिन भी ग्रहों के साथ हुई है, इन दोनों पापी ग्रहों ने उन ग्रहों से निर्माण होने वाले शारिरिक अंगों में रोग, चोट, ऑपरेशन आदि करवाये हुए हैं। यही कारण है कि अनेक बार राहु-केतु के उच्च राशि अथवा शुभ स्थिति में होते हुए भी मैं जातक को इनके रत्न धारण नहीं करवाता क्यूंकि ऐसी स्थिति में जहाँ इनके रत्न जीवन को नयी ऊँचाइयाँ प्रदान करने वाले सिद्ध होते हैं वहीं दूसरी ओर वह शरीर के उन अंगों को पीड़ित भी कर देते हैं जिस अंग को बनाने वाले नक्षत्र-राशि-भाव में राहु-केतु स्थित होते हैं।
उदाहरण स्वरुप- यदि राहु-केतु की युति सूर्य के साथ हो जाये तो जातक को सूर्य से उत्पन्न अवयवों (पेट, ह्रदय, दाहिना नेत्र, हड्डियां) में कोई ना कोई समस्या अवश्य रहेगी तथा सूर्य का पिता के कारक होने से पिता को भी गंभीर रोग रहेंगें और अनेक बार उनकी मृत्यु का कारक हार्ट अटैक बनेगा। इस विषय पर आप सभी मेरा चिकित्सा ज्योतिष (Medical Astrology) पर लिखा गया ब्लॉग देख सकते हैं।
https://astrologermanubhargav.blogspot.com/2020/04/blog-post.html
इन सब कारणों से राहु-केतु के राशि परिवर्तन को एक बड़ी ज्योतिषीय घटना माना जाता है क्यूंकि इसके शुभाशुभ प्रभाव से कोई भी जीव प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता।
आइये जानते हैं राहु व केतु के इस राशि परिवर्तन के कारण सभी राशि-लग्नों वाले जातकों के जीवन पर क्या-क्या प्रभाव पड़ेंगे-
राहु का विभिन्न राशि - लग्नों पर पड़ने वाला प्रभाव-
मेष राशि - मेष लग्न
लग्न में शत्रु राशि के राहु के संचार करने के कारण सिर की चोट से बचाव करें। सिर पर राहु के विराजमान होने से मानसिक तनाव, चिड़चिड़ापन बना रहेगा अतः अपने क्रोध पर नियंत्रण रखें अन्यथा राहु की सप्तम दृष्टि विवाह स्थान पर होने से आपके वैवाहिक जीवन को नष्ट कर सकती है। राहु की पंचम शत्रु तथा नवम नीच दृष्टि क्रमशः संतान व पिता स्थान पर होने के कारण आपकी संतान और पिता के स्वास्थ्य के लिए भी यह समय कष्टकारी सिद्ध होगा। इस राशि-लग्न वाली गर्भवती स्त्रियां विशेष सावधानी रखें, यदि आप या आपके पिता पहले से ही ह्रदय से सम्बंधित रोगों से ग्रसित हों तो अपने चिकित्सक से परामर्श लेते रहें।
वृष राशि - वृष लग्न
आपके बड़े भाई-बहन, छोटी बुआ, चाचा की धन हानि तथा उनके दाहिने नेत्र या दांतों में और आपके बाएं नेत्र तथा एड़ी-पंजो में कोई कष्ट उत्पन्न हो सकता है। 12वें भाव में मंगल की राशि का राहु आपकी दादी की आयु और उनके स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। माता को पीठ व कमर की चोट से बचाव करें। आपका खर्चा हॉस्पिटल या कोर्ट केस आदि में ना हो इसके लिए राहु के दान व विधिपूर्वक उनके मन्त्रों का जाप करें तथा इस अवधिकाल में नीला रंग धारण करने से बचें। यदि आपने किसी से कोई ऋण लिया हुआ है तो उसको उतार दें अन्यथा आपका धन चिकित्सालय अथवा कोर्ट केसों में निकल जायेगा।
मिथुन राशि - मिथुन लग्न
बड़े भाई-बहन, चाचा व छोटी बुआ के स्वास्थ्य का ध्यान रखें और माता की आयु की सुरक्षा करें। राहु गोचर में आपके 11वें भाव में संचार करेंगे अतः पिंडलियों की चोट से स्वयं को बचाएं। राहु की सप्तम दृष्टि आपकी संतान के लिए कष्टकारी है अतः इस राशि-लग्न वाली गर्भवती महिलाएं विशेष सावधानी रखें। राहु की नवम नीच दृष्टि आपके वैवाहिक जीवन के लिए ठीक नहीं है। इन सब नकारात्मक बातों के पश्चात भी राहु जब भरणी नक्षत्र में संचार करेंगे तो उस अवधिकाल में लाभ स्थान में होने से आपके लाभ में कई गुना वृद्धि करवायेंगे।
कर्क राशि - कर्क लग्न
दशम भाव में शत्रु राशि का राहु आपके राजनैतिक कैरियर, आपकी नौकरी तथा आपके पिता के धन के लिये हानिकारक है। सरकारी विवाद से बचें। पिता के दांतों तथा दाहिने नेत्र तथा आपके स्वयं के घुटनों में कोई समस्या आ सकती है। अपनी सास की आयु की सुरक्षा करें। राहु की पंचम शत्रु दृष्टि आपके धन-कुटुंब के लिए अच्छी नहीं है अतः अपने ऋणों से मुक्ति प्राप्त कर लें अन्यथा आपका धन कहीं और निकल जायेगा। यदि आप सरकारी नौकरी में हैं और आपकी जन्मकुंडली में भी आपका दशम भाव-दशमेश अत्यधिक पाप प्रभाव में हुआ तो इस समय आपकी नौकरी जा सकती है।
सिंह राशि - सिंह लग्न
नवम भाव में राहु का संचार आपके पिता, छोटा साला-छोटी साली के स्वास्थ्य तथा आयु के लिए अच्छा नहीं है, इसकी आपके लग्न पर शत्रु तथा संतान भाव पर नीच दृष्टि आपके व आपकी संतान के लिए भी अनिष्टकारी है। स्वयं अपने सिर, पीठ व कमर की चोट से बचाव करें तथा संतान की सुरक्षा के लिए राहु के मन्त्रों के जाप और उनके दान करें तथा पिता की आयु की सुरक्षा के लिए राहु की अधिष्ठात्री देवी 'भगवती दुर्गा' के मन्त्रों के जाप करें। इस अवधिकाल में देश में होने वाली यात्राओं को यथासंभव टालने का प्रयास करें।
कन्या राशि - कन्या लग्न
अष्टम भाव में शत्रु राशि का राहु आपको अत्यधिक मानसिक पीड़ा और डिप्रेशन देने जा रहा है, यह आपकी आयु का स्थान भी है अतः आत्महत्या जैसे महापाप को करने के विचार से भी बचें। इस समय आपके जीवन साथी के दाहिने नेत्र तथा दांतों में कोई समस्या आ सकती है तथा उनके धन-कुटुंब के लिए भी यह समय ठीक नहीं है। आपके पिता को बाएँ नेत्र तथा एड़ी-पंजो में कोई समस्या उत्पन्न हो सकती है। यदि आपके पिता पर कोई कोर्ट केस हुआ तो उनको उसमें पराजय का सामना करना पड़ेगा। इस अवधिकाल में आपकी माता को पेट में भी कोई समस्या आ सकती है। इस समय आपके छोटे-मामा मौसी विदेश यात्रा ना करें और आप गहरी नदियों व समुद्री स्थानों से दूर रहें।
तुला राशि - तुला लग्न
राहु का आपके सप्तम भाव में संचार आपके वैवाहिक जीवन के लिए अशुभकारी है। यदि आप व्यापार में किसी के साथ पार्टनरशिप में हैं तो विवाद की स्थिति से बचें। अपनी बड़ी बुआ तथा ताऊ के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। सप्तम के राहु की पंचम शत्रु तथा नवम नीच दृष्टि क्रमशः आपके एकादश और तृतीय भाव में पड़ने से आपके भाई बहनों के लिए यह समय अशुभकारी है। पैरों तथा हाथों की चोट से सावधान रहें और यदि आप स्त्री हैं तो नीच प्रकृति के पुरुषों से दूर रहें तथा एकांत स्थान पर अकेले जाने से बचें। इस राशि-लग्न वाले जातकों की जन्मकुंडली में 'शुक्र' यदि अपनी नीच या शत्रु राशि अथवा अस्त व पाप प्रभाव में हुए तो इनके यौन अंगों में कोई समस्या उत्पन्न हो सकती है।
वृश्चिक राशि - वृश्चिक लग्न
इस डेढ़ वर्ष के अवधिकाल में आपको दुर्घटना से बचाव करने की आवश्यकता है। यदि आप पहले से ही किडनी, आंतो, पेंक्रियाज अथवा लिवर की समस्या से पीड़ित हैं तो यह समय आपके लिए बहुत कष्टकारी है । आप यदि मधुमेह के रोगी हैं तो अपनी शुगर का ध्यान रखें। इस समय आपके शत्रु आपको चोट पहुँचाने का प्रयास करेंगे, सावधान रहें। आपके जीवन साथी को अपने बायें नेत्र, एड़ी-पंजो तथा आपको अपने घुटनों की चोट से भी बचाव करना होगा। इस समय आपकी संतान की धन हानि के योग बने हुए हैं तथा उनको दांतों में कोई समस्या उत्पन्न हो सकती है। राहु की नवम नीच दृष्टि आपके धन-कुटुंब भाव पर है अतः कर्ज लेने से बचें अन्यथा चिंता ग्रसित हो जायेंगे। कुटुंब में व्यर्थ के विवाद से बचें। बचाव के लिए योग्य वेदपाठी विद्वानों से विधिवत श्रीदुर्गा सप्तशती का पाठ तथा यज्ञ करवायें।
धनु राशि - धनु लग्न
यह समय आपकी संतान के लिए शुभ नहीं है। यदि आप गर्भवती महिला हैं तो बहुत सावधानी रखें, गर्भपात हो सकता है। यदि आप विद्यार्थी हैं तो आपको परीक्षाओं में प्रतिकूल परिणाम प्राप्त होंगे। अपने पेट व ह्रदय का ध्यान रखें। राहु की पंचम दृष्टि आपके पिता के लिए हानिकारक है, यदि वह पहले से ही ह्रदय रोगी हैं तो अपने चिकित्सक से परामर्श लेते रहें। अपनी माता के दाहिने नेत्र तथा दांतों में कोई समस्या आने के योग बन रहे हैं। स्वयं आप सिर,पीठ व कमर की चोट आदि से बचें। इस अवधिकाल में आपको आपके इष्ट देवता के क्रोध का सामना करना पड़ सकता है। राहु के मन्त्रों का जाप तथा उनके दान करें। नीले वस्त्रों को धारण करने से बचें।
मकर राशि - मकर लग्न
शत्रु राशि के राहु के आपके चतुर्थ भाव में गोचर करने के कारण यह समय आपकी माता के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं हैं। इस समय यदि आप कोई प्रॉपर्टी अथवा वाहन लेने जा रहे हैं तो बहुत विचार करके ही लें। यदि आपका आपकी किसी संपत्ति पर विवाद चल रहा है तो आगामी डेढ़ वर्ष उस विवाद को टालने का प्रयास करें। इस अवधिकाल में राहु आपके तथा अपनी पंचम दृष्टि से आपके ससुराल के सुख में भी कमी करेगा तथा आपके जीवन साथी के धन की हानि करेगा। स्वयं के वाहन द्वारा लम्बी दूरी की यात्रा से बचें। हॉस्पिटल का यदि कोई खर्च रुका हुआ हो तो उसको हो जाने दें।
कुम्भ राशि - कुम्भ लग्न
भाई-बहनों के स्वास्थ्य का ध्यान रखें उनके लिए यह समय अनुकूल नहीं है। स्वयं का गले-छाती के रोगों से बचाव करें। आगामी डेढ़ वर्ष तक कोई विदेश यात्रा करने तथा मित्रों से विवाद की स्थिति से बचें। इस समय आपके बड़े मामा-मौसी की धन की हानि तथा उनके दाहिने नेत्र व दांतों में पीड़ा के योग बन रहे हैं। हाथ-पैरों की चोट से बचें। इस अवधिकाल में आपके जीवन साथी को पीठ अथवा कमर में कोई समस्या उत्पन्न हो सकती है।
मीन राशि - मीन लग्न
द्वितीय भाव में शत्रु राशि में स्थित राहु आपके धन की हानि करवाता रहेगा। अतः यदि कोई ऋण हो तो उससे मुक्ति प्राप्त कर लें। इस अवधिकाल में आपके दांतों तथा दाहिने नेत्र में कोई समस्या उत्पन्न हो सकती है। यह समय आपके कुटुंब के लिए बहुत विनाशकारी है। वाणी स्थान पर बैठे राहु आपसे कड़वी वाणी का उपयोग करवायेंगे जिसके कारण आप लोगों को अपने शत्रु बना लेंगे, अतः सोच समझ कर बोलें। राहु की पंचम शत्रु तथा नवम नीच दृष्टि आपको किडनी, आंतों, पेंक्रियाज, लिवर तथा घुटनों में कोई समस्या ना दे इसके लिए राहु के दान करें तथा उनके मन्त्रों का जाप करें।
केतु का विभिन्न राशि - लग्नों पर पड़ने वाला प्रभाव-
स्वभाव से राहु के समक्ष केतु थोड़े कम पापी ग्रह माने जाते हैं परन्तु फलित करते समय यह भी राहु से कम विध्वंसकारी नहीं होते। गोचर में जब-जब केतु की युति मंगल अथवा शनि से होती है तो संसार में अग्निकांड और विषैली गैसों से होने वाली दुर्घटनायें कई गुना बढ़ जाती हैं। यदि किसी की जन्मकुंडली के किसी भाव में पहले से ही मंगल-केतु, मंगल-शनि की युति हो और उसकी दशा-अंतर्दशा भी इन्हीं ग्रहों की चल रही हो तथा गोचर में भी उसी भाव में यह युति बन जाये तो इनकी यह युति जातक के उस शारिरिक अंग के लिए बहुत कष्टकारी होती है जिसको वह भाव बनाता है और कई बार जातक का वह अंग-भंग तक हो जाता है। अतः ऐसी स्थिति में सभी को इन ग्रहों के दान व शांतियाँ अवश्य करवा लेनी चाहिए, इससे इनके अशुभ प्रभाव में बहुत कमी आ जाती है और यह अपना सम्पूर्ण अशुभ फल ना देकर छोटी-मोटी चोट, खरोंच आदि देकर आगे निकल जाते हैं।
सभी राशि लग्नों पर केतु का फलादेश भी लगभग राहु के सामान अशुभ फल देने वाला ही होगा, ब्लॉग की विस्तारता को देखते हुए इसके अलग से फलादेश करने की आवश्यकता नहीं है। सभी जातक अपनी-अपनी राशि लग्नों पर इसको राहु के जैसा अशुभ फल देने वाला ही मानें। अधिक जानकारी के लिए मेरे ब्लॉग स्पॉट पर केतु से सम्बंधित दिए गए अन्य ब्लॉग पढ़ें। इसमें 'महामारियों का कारण व निवारण', गोचर में मंगल-केतु युति व 'आत्महत्याओं का कारण बनेगी चंद्र-केतु युति' अवश्य पढ़ें।
https://astrologermanubhargav.blogspot.com/2020/09/blog-post.html
https://astrologermanubhargav.blogspot.com/2020/03/mahamariyon-ka-kaaran-aur-nivaran.html
https://astrologermanubhargav.blogspot.com/2020/02/blog-post.html
नोट- यहाँ केवल राहु-केतु के राशि परिवर्तन से प्रकट होने वाले परिणामों का वर्णन किया गया है, किसी अन्य ग्रहों के गोचर में राशि परिवर्तन से पड़ने वाले शुभाशुभ परिणामों का नहीं। इसके अतिरिक्त विषय की विस्तारता को ध्यान में रखते हुए इन 18 महीनों में राहु-केतु के साथ ही गोचर में भ्रमण करते हुए अन्य ग्रहों की राहु-केतु के साथ होने वाली युति-दृष्टि के परिणामों का भी उल्लेख यहाँ पर नहीं किया जा सकता है। यदि संभव हुआ तो आगामी समय में किसी अन्य ब्लॉग के माध्यम से मैं आप सभी के लिए वह फलादेश भी उपलब्ध करवा दूंगा।
राहु-केतु के क्रमशः अपने परम शत्रुओं (मंगल-शुक्र) की राशियों में संचार करने के कारण इन डेढ़ वर्षों में राहु व केतु बहुत उपद्रव मचाने जा रहे हैं जिससे कोई भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकेगा। 'मेष' राशि हमारे सिर (Head) और 'तुला' राशि हमारे यौन अंगों (Sex Organs) का निर्माण करती है, राहु-केतु का इन राशियों में संचार करना आगामी डेढ़ वर्ष तक विश्व भर में इन अंगों से सम्बंधित रोगियों की मात्रा में भारी वृद्धि करने जा रहा है। इस अवधिकाल में सड़क दुर्घटनाओं में सिर में चोट लगकर मृत्यु को प्राप्त होने वाले लोगों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि देखने को मिलेगी। अतः जो लोग सड़क यात्रा के समय मोटरसाईकिल आदि वाहनों का प्रयोग करते हैं वह हेलमेट का प्रयोग अवश्य करें। सेना-पुलिस-अर्ध सैनिक बलों के हमारे जवान भी यथासंभव सिर की चोट से बचने का प्रयास करें।
यदि किसी जातक की जन्म-कुंडली में राहु व केतु शुभ ग्रहों की राशि में शुभ ग्रहों के साथ स्थित हुए तथा उनकी दशा-अन्तर्दशा भी उनकी जन्म-कुंडली में स्थित शुभ ग्रहों की ही चल रही होगी तो उनके लिए राहु-केतु का राशि परिवर्तन उतना अनिष्टकारी नहीं होगा किन्तु जिन जातकों की जन्म-कुंडली में राहु व केतु अपनी नीच व शत्रु राशियों में पापी अथवा क्रूर ग्रहों के साथ स्थित हुए और उनकी दशा-अन्तर्दशा भी उनकी जन्म-कुंडली में स्थित अशुभ ग्रहों की चल रही होगी तो उनके लिए राहु-केतु का यह राशि परिवर्तन अत्यन्त विनाशकारी सिद्ध होगा।
"शिवार्पणमस्तु"
-Astrologer Manu Bhargava
गुरुवार, 17 मार्च 2022
देव गुरु 'बृहस्पति' का स्वराशि 'मीन' में प्रवेश
13 अप्रैल 2022 को प्रातः 11 बजकर 21 मिनट ('दिल्ली समयानुसार') पर देव गुरु बृहस्पति 'कुंभ' राशि से निकलकर अपनी राशि 'मीन' में प्रवेश करेंगे और यहां वह 22 अप्रैल 2023 को प्रातः 3 बजकर 32 मिनट तक रहेंगे तत्पश्चात मेष राशि में प्रविष्ट हो जाएंगे। देव गुरु बृहस्पति का स्वग्रही होना देव शक्तियों के जागरण के लिये मार्ग प्रशस्त करने वाला तथा आसुरी शक्तियों को भयाक्रांत करने वाला होगा। इसलिए यह एक वर्ष सनातन धर्म के उत्थान के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण सिद्ध होने जा रहा है।