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रविवार, 18 अप्रैल 2021

जीवन में नकारात्मक ऊर्जा के दुष्प्रभाव एवं उपाय

 भगवान शंकर और माता भवानी के चरणों को प्रणाम करते हुए आज मैं उस रहस्य को प्रकट करने जा रहा हूँ जिसके कारण करोड़ों मनुष्य प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हैं।


आपने अनेक बार देखा होगा कि जब भी कभी आप कोई शुभ कार्य करने का विचार मन में लायें और उसमें अनेक प्रकार के व्यवधान आयें तो हो सकता है कि कोई अदृश्य ऊर्जा आपको उसे क्रियान्वित करने से रोक रही है, तो ऐसी स्थिति में समझ लेना चाहिए कि आप किसी नकारात्मक ऊर्जा की चपेट में आ चुके हैं।


वह ऊर्जा आपके रुष्ट पूर्वजों के रूप में हो सकती है, ब्रह्मांड में विचरण करती हुई कोई अत्यन्त क्रोधी अतृप्त आत्मा हो सकती है अथवा आपके शत्रु द्वारा आपके ऊपर किये गए षट्कर्म (मारण, सम्मोहन,वशीकरण,विद्वेषण,स्तंभन और उच्चाटन) में से कोई एक अभिचारिक प्रयोग के फलस्वरुप उत्पन्न कोई ऐसी घोरतम ऊर्जा हो सकती है जो केवल आपके विनाश के लिए ही भेजी गई हो।


यदि ऐसा है तो आपकी जन्मकुंडली में स्थित शुभ ग्रहों के योग भी अपनी दशा आने पर आपकी रक्षा कर सकने में समर्थ नहीं होते और व्यक्ति यह विचार करने पर विवश हो जाता है कि ज्योतिषी के द्वारा वर्णित किया गया मेरी जन्म-कुंडली का उत्तम फलादेश क्या केवल मिथ्या मात्र है ?

ऐसी स्थिति में सर्वप्रथम आवश्यक है उस ऊर्जा का परिज्ञान किया जाए जो जातकों के Subconscious Mind (अवचेतन मन) को अपने नियंत्रण में लेकर उसके जीवन का सर्वनाश कर रही है।

वर्तमान में यह शक्तियां इसलिये भी अत्यन्त प्रबल हो चुकी हैं क्यों कि मनुष्य मदिरा और मांसाहार का प्रयोग करके स्वयं तमोगुणी होकर अत्यंत घोर तमोगुणी ऊर्जा (Negative Energy) को अपनी ओर आकर्षित करके अपनी सकारात्मक ऊर्जा ( Positive Energy) को नष्ट कर रहे हैं। ऐसे मनुष्यों को दीर्घ काल तक यह ज्ञात ही नहीं हो पाता कि वो दैवीय ऊर्जा के नियंत्रण से बाहर निकलकर किसी और ही ऊर्जा के द्वारा कब और कैसे संचालित होने लगे।


ऐसे जातक जिनके जीवन या तो नष्ट हो चुके हैं अथवा नष्ट होने की स्थिति में है, जब मैंने उनकी जन्म-कुंडलियों का निरीक्षण किया तो यह पाया कि ऐसी नकारात्मक ऊर्जा से प्रभावित जातकों की उस समय राहु अथवा केतु की महादशा-अन्तर्दशा चल रही थीं क्योंकि राहु-केतु की दशा-अन्तर्दशा में मनुष्य बड़ी सरलता से इन नकारात्मक ऊर्जाओं की चपेट में आ जाता है।

यह स्थिति तब और विकट हो जाती है जब ऐसे व्यक्ति का सूर्य-चंद्रमा भी अशुभ स्थिति में हों क्योंकि सूर्य को ज्योतिष शास्त्र में आत्मा कारक तथा चंद्रमा को मन का कारक ग्रह माना गया है, ऐसे में यदि यह दोनों ग्रह भी जन्म-कुंडली में पाप प्रभाव में अथवा अशुभ स्थिति में आ जाएं तो व्यक्ति अपनी आत्मा तथा मन पर नियंत्रण न होने से नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव में घिरकर जीवन भर घोर दुःख उठाता रहता है ।

ऐसे में इस तमोगुणी ऊर्जा से अपने जीवन को नष्ट होने से बचाने के लिए मैं कुछ उपाय बताने जा रहा हूँ, जिससे मेरी यह देह भगवान शंकर के चरणों में विलीन होने के उपरांत भी इस ज्ञान का उपयोग करके मनुष्य अनन्त काल तक अपने जीवन को सुखमय बनाते रहें...

1- किसी योग्य ज्योतिषी से अपनी जन्मकुंडली का परीक्षण करवाकर उन ग्रहों के रत्न धारण करें जो ग्रह आपकी कुंडली में शुभ हों तथा उन ग्रहों की विधिवत शांति करवा लें जो आपकी कुंडली में अशुभ स्थिति में हों।


2- अपनी जन्मकुंडली में स्थित अशुभ ग्रहों के रंगों का प्रयोग न करें, न ही उनकी दिशाओं में निवास करें । यदि शनि-राहु की स्थिति जन्मकुंडली में शुभ भी हो तो भी काले-नीले रंगों का प्रयोग न करें।

3- भवन निर्माण के समय भूमि तथा उसके वास्तु का ध्यान रखें। अनेक वास्तु दोषों से युक्त भवन को अति शीघ्र ही त्याग दें।

4- घर में पुरानी लकड़ी, अधिक लोहा न रखें तथा धूल और दूषित जल एकत्र न होने दें।

5- मांस-मदिरा का सेवन न करें।

6- घर में सीलन न आने दें तथा घर की नालियों में बहने वाले जल प्रवाह को जाम न होने दें।

7- ऐसी इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं जो आपके उपयोग में नहीं आ रहीं उन्हें तत्काल घर से बाहर कर दें, उनसे निकलने वाला विकिरण न केवल नकारात्मक ऊर्जा को आप तक लाता है, आपके स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होता है।

8- घोर मानसिक अशांति उत्पन्न करने वाले टीवी प्रोग्राम ( उदाहरणार्थ-बिगबॉस एवं अश्लील भौंडे नाच गाने वाले) जिसको देख कर आपके मस्तिष्क में नकारात्मक रसायन प्रवाहमान होते हों , उन्हें तिलांजलि दे दें।

9- संभव हो तो देशी गाय के गोबर से घर के फर्श को लीपें और यदि पक्के फर्श हों तो उन पर नित्य सेंधा नमक मिश्रित जल से पोंछा लगाएं।

10- घर में पवित्र मंत्रों, शंख व घण्टों की ध्वनि होते रहने की व्यवस्था करें।

11- गुग्गल, संब्रानी, कपूर आदि का धुआँ दें तथा देव मूर्तियों की आरती करके उस आरती को स्वयं लेकर अपना आभामंडल (Aura) ठीक करें ।


12- घर में तुलसी एवं अशोक जैसे वृक्ष लगाएं ।

13- वर्ष भर में आने वाले सिद्ध मुहूर्तों का समय उच्च कोटि की साधना में दें ।

14- रात्रि के समय खुले आकाश के नीचे शयन न करें और न ही मीठा दूध आदि पीकर खुले अन्तरिक्ष के नीचे जाएं क्योंकि आप नहीं जानते वहां उस समय कौन सी शक्तियां विचरण कर रही हों।

15- चौराहों से निकलने के समय ध्यान दें किसी ऐसी वस्तु पर पैर न पड़ जाएं जो श्रापित हो अथवा किसी के द्वारा अपना उतारा करके रखी गयी हो।

15- एक क्षण भी अपवित्र न रहें, प्रतिदिन स्नान करें, सम्भव हो तो जल में पवित्र औषधियां मिला लें।

16- बाहर से आने वाले जूते-चप्पल घर से बाहर ही रखें, घर में प्रवेश करने से पूर्व पैरों को जल से धो लें।

17- दिन ढलने के उपरान्त देशी गाय के घी अथवा तिल के तेल का दीपक जलाएं जो रात्रि भर जलता रहे।

18- दूसरों की सुख समृद्धि से द्वेष तथा लोभी आचरण करके अपनी Aura में अपने लिए नकारात्मक ऊर्जा के लिए प्रवेश स्थान न दें क्योंकि दूसरों से द्वेष रखने वाले तथा लोभी मनुष्य के सभी जप, तप, पुण्य कर्म नष्ट हो जाते हैं।

19- योग्य गुरु के मार्ग दर्शन में स्फटिक, रुद्राक्ष और Black Tourmaline का उपयोग करें।

20- अपने उन सभी पूर्वजों को प्रतिदिन प्रणाम करें जो अपने अन्त काल तक ज्ञान वृद्ध रहे हों।


21- भगवान शंकर और देवी महामाया महाकाली की उच्च कोटि के मंत्रों से आराधना करें, क्योंकि समस्त तमोगुणी शक्तियां और यह चराचर जगत उन्हीं के तो अधीन हैं ।

''शिवार्पणमस्तु''

-Astrologer Manu Bhargava

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