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मंगलवार, 22 सितंबर 2020

आत्महत्याओं का कारण बनेगी चंद्र-केतु युति

 


अपने इस ब्लॉग के माध्यम से मैं अपने सभी ज्योतिषी बंधुओं का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहूंगा-

आप सभी जानते हैं कि जब-जब गोचर में चंद्र-केतु, चंद्र-राहु, चंद्र-शनि का योग बनता है अथवा अमावस्या (क्षीण चंद्र) के आसपास का समय होता है, तब-तब जातकों को घोर मानसिक कष्टों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में यदि जातकों की दशा-अंतर्दशा भी अशुभ ग्रहों की चल रही होती है अथवा वह शनि की अशुभ ढैया-साढ़े साती के प्रभाव में होते हैं तो उनके मन में आत्महत्या करने तक के विचार आने लगते हैं।

अब से डेढ़ वर्ष पूर्व जब राहु, चंद्रमा की राशि कर्क में स्थित थे तब हम सभी ने देखा कि कर्क राशि में राहु के संचार के उन 18 महीनों में गोचर में जब-जब चंद्र-राहु का योग बना तब-तब विश्व भर में कितनी आत्महत्या हुईं।

आज वही समस्या फिर हमारे समक्ष उत्पन्न होने जा रही है जब 23 सितम्बर को राहु-केतु राशि परिवर्तन कर लेंगे। राहु वृष तथा केतु चंद्रमा की नीच राशि वृश्चिक में प्रवेश हो जाएंगे। ऐसे में, गोचर में चंद्रमा 12 अप्रैल 2022 तक, जब-जब अपनी नीच राशि वृश्चिक में प्रवेश करेगा वहां वह पहले से ही स्थित केतु के पाप प्रभाव की चपेट में भी आ जायेगा।

जरा विचार करिये ऐसे में उन सवा दो दिनों में जातक के मन की स्थिति क्या होगी ? ऐसे में जिन जातकों की जन्म-कुण्डली में पहले से ही चंद्रमा नीच राशि में अथवा पाप ग्रहों के प्रभाव में हुआ और उनकी दशा-अंतर्दशा भी अशुभ ग्रहों की चल रही हुई तो क्या वह जातक उन सवा दो दिनों में आत्म-हत्या का प्रयास नहीं करेंगे ?

अतः आगामी डेढ़ वर्ष सभी ज्योतिषियों को यह ध्यान रखना होगा कि ऐसे जातकों को वह किस प्रकार से डिप्रेशन की स्थिति से बाहर निकाल सकते हैं और उनका जीवन बचा सकते हैं ।

यहां मैं सभी पाठकों को और विशेषकर मानसिक रोगियों के लिये आत्म-हत्या की इच्छा से बचने के लिए कुछ उपायों को बताने जा रहा हूँ, ज्ञानीजन कृपया गहनता से संदेश को समझें...

1- जन्म-कुंडली में मन का कारक चंद्रमा यदि शुभ स्थानों का स्वामी हो अथवा अत्यधिक पाप प्रभाव में हो तो उत्तम प्रकार का 'सच्चा मोती' और चांदी धारण कर लें तथा जिन पाप ग्रहों ने चतुर्थ भाव, चतुर्थेश एवं चद्रमा को पीड़ित किया हुआ हो उनकी शांति करवा लें।

2- किसी अच्छे मनोचिकित्सक के पास जाकर अपनी चिकित्सा करवा लें तथा उनके द्वारा दी गयी औषधियों का सेवन करें।

3- किसी आध्यात्मिक धर्म गुरु की शरण में चले जायें और उनके सानिध्य में योग-ध्यान करें।


4- कभी भी अकेले न रहें, हमेशा मित्रों, बन्धु-बांधवों के साथ भीड़ में रहें और स्वयं को व्यस्त रखने के लिए हमेशा कुछ न कुछ करते रहें।

5- नशीली वस्तुओं के प्रयोग से स्वयं को दूर रखें। 

6- भगवान शंकर के मंत्रों के जाप से अपने 'सोम चक्र' को जाग्रत कर लें, जिसमें अमृत छुपा हुआ है।

"शिवार्पणमस्तु"

-Astrologer Manu Bhargava

शनिवार, 19 सितंबर 2020

राहु-केतु का राशि परिवर्तन 2020



२३ सितम्बर २०२० को राहु व केतु क्रमशः मिथुन व धनु राशि से निकलकर वृष व वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। जहाँ वह १२ अप्रैल २०२२ तक रहेंगे। वैदिक ज्योतिष में राहु-केतु को पापी ग्रह माना गया है जिसमे विशेषकर राहु साक्षात् काल का स्वरुप माना जाता है। 

राहु व केतु एक राशि में लगभग १८ माह तक रहते हैं तथा जिस राशि में रहते हैं एवं जिस ग्रह के साथ स्थित होते हैं, अपने मारक प्रभावों के अतिरिक्त उनके जैसा प्रभाव भी देने लगते हैं। अतः राहु-केतु के राशि परिवर्तन को एक बड़ी ज्योतिषीय घटना माना जाता है और इसके शुभाशुभ प्रभाव से कोई भी जीव बिना प्रभावित हुए नहीं रह सकता।  

आइये जानते हैं राहु व केतु के इस राशि परिवर्तन के कारण सभी राशि व लग्नों वाले जातकों के जीवन में क्या प्रभाव पड़ेगा -

राहु का विभिन्न राशि- लग्नों पर पड़ने वाला प्रभाव

मेष राशि- मेष लग्न 

मेष राशि- मेष लग्न वाले जातकों को इस अवधि काल में दाहिने नेत्र, मुख एवं दांतों में समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।  कुटुंब में क्लेश व तनाव की स्थिति बनेंगी परन्तु अचानक से धन प्राप्ति होने के योग भी बनेंगे। 

वृष राशि- वृष लग्न 

इन जातकों के सिर पर राहु आ जाने के कारण मानसिक तनाव तथा सिर में चोट लगने की संभावना बढ़ जाएगी। राहु की नवम दृष्टि पिता के सुख से वंचित कर सकती है अतः पिता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

 मिथुन राशि- मिथुन लग्न 

राहु के बारहवें भाव में गोचर करने के कारण बाएं नेत्र में कष्ट, अनावश्यक धन हानि तथा पुलिस केस मुकदमों एवं चिकित्सा आदि पर धन- व्यय होने के योग बनेंगे। 

कर्क राशि- कर्क लग्न 

राहु के एकादश भाव में गोचर करने के कारण बड़े भाई-बहिनों, छोटी बुआ व चाचा को कष्ट, स्वयं की पिंडलियों में दर्द व चोट लगने के योग बनेंगे किन्तु आकस्मिक धन-लाभ की भी स्थिति रहेगी। 

सिंह राशि-सिंह लग्न 

यदि किसी की जन्म-कुंडली में दशम भाव एवं दशमेश की स्थिति अच्छी बनी हुई है तो राहु का दशम भाव में गोचर उसे सरकार से उच्च पद की प्राप्ति कराएगा किन्तु घुटनों में चोट-दुर्घटना की सम्भावना भी बनी रहेगी। 

कन्या राशि- कन्या लग्न 

राहु के नवम भाव में गोचर करने के कारण इस अवधि काल में इन जातकों के पिता कष्ट का अनुभव करेंगे तथा ये स्वयं कमर व पीठ की समस्याओं से ग्रसित हो सकते हैं एवं धर्म में अरुचि हो जायगी। ऐसे व्यक्ति देश के अंदर लम्बी यात्राओं से बचें, अचानक भाग्योदय का योग बनेगा।

तुला राशि- तुला लग्न 

राहु के अष्टम में गोचर करने के कारण इस राशि- लग्न के जातक मानसिक तनाव व डिप्रेशन का अनुभव करेंगे। ससुराल पक्ष में कष्ट रहेगा तथा जीवनसाथी के दांतों में कोई रोग प्रकट होने की सम्भावना होगी। ऐसे जातक इस अवधि काल में समुद्र की यात्राओं से बचें। 

वृश्चिक राशि- वृश्चिक लग्न 

राहु के सप्तम भाव में गोचर करने के कारण इन जातकों के वैवाहिक जीवन में कष्ट आएंगे।  जीवनसाथी के स्वास्थ्य में गिरावट अथवा किसी पार्टनर से धोखा एवं उसकी हानि हो सकती है अतः पार्टनरशिप में सावधानी रखें। 

धनु राशि- धनु लग्न 

राहु के छठें भाव में गोचर करने के कारण चोट-दुर्घटना एवं पुलिस केस मुकदमेबाज़ी का भय रहेगा। इस राशि-लग्न के जिन जातकों को पहले से ही किडनी, लिवर,आंतें, पैंक्रियास आदि की समस्याएं हैं, वह बढ़ जाएँगी परन्तु शत्रुओं का नाश होगा। 

मकर राशि- मकर लग्न 

इस राशि-लग्न वाले जातकों के राहु उनके पंचम भाव में गोचर करेंगे। ऐसे में विद्यार्थियों को पढाई में कष्ट तथा प्रतियोगी परीक्षाओं में अपेक्षित परिणाम नहीं मिलेंगे। इस लग्न व राशि के जातकों के पेट की समस्याएं बढ़ेंगी तथा संतान कष्ट होगा एवं गर्भवती महिलाओं को संतान-हानि के योग बनेंगे किन्तु शेयर बाज़ार से अचानक धन प्राप्त हो सकता है। 

कुम्भ राशि- कुम्भ लग्न 

इस राशि व लग्न के जातक नया वाहन लेने तथा भूमि के क्रय-विक्रय से बचें, यदि उनकी जन्म-कुंडली में चतुर्थ भाव व चतुर्थेश की स्थिति भी अशुभ हुई एवं दशा-अंतरदशा भी अशुभ ग्रहों की चल रहीं हो तो ऐसे में वाहन दुर्घटना के योग बन जायेंगे। 

मीन राशि- मीन लग्न  

इस राशि- लग्न के जातकों को अपने छोटे भाई-बहिनों के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना होगा।  जन्म-कुंडली में तृतीय भाव व तृतीयेश की स्थिति भी अशुभ हुई तो इस लग्न-राशि के जातकों को इस अवधि काल में विदेश यात्रा से बचना चाहिए। 

केतु का विभिन्न राशि- लग्नों पर पड़ने वाला प्रभाव

मेष राशि- मेष लग्न 

इस राशि व लग्न के जातकों को मानसिक तनाव, मानसिक पीड़ा, ससुराल में कष्ट एवं जीवनसाथी के एक आँख तथा दांतों में कष्ट के योग बनेंगे। समुद्र की यात्राओं से बचें। 

वृष राशि- वृष लग्न 

जीवनसाथी को कष्ट व वैवाहिक जीवन में अलगाव व तनाव की स्थिति बनेगी, किसी पार्टनर की दुर्घटना का समाचार प्राप्त हो सकता है। 

मिथुन राशि- मिथुन लग्न 

चोट- दुर्घटना से बचाव करें, व्यर्थ के विवाद में पड़ने से बचें अन्यथा कोर्ट केस होने की सम्भावना रहेगी। 

कर्क राशि- कर्क लग्न 

इस राशि व लग्न के जातकों के पेट में एसिड एवं गैस की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।  जिनकी जन्म कुंडली में पहले से ही पंचम भाव तथा पंचमेश अशुभ प्रभाव में हैं, उनके पेट के ऑपरेशन के योग बनेंगे तथा गर्भवती महिलाओं को गर्भ हानि का भय रहेगा। 

सिंह राशि- सिंह लग्न 

इस राशि व लग्न के जातकों की माता को कष्ट एवं स्वयं के सुख में कमी रहेगी, अपने निजी वाहन के द्वारा लम्बी यात्रा करने से बचें। 

कन्या राशि- कन्या लग्न 

इस राशि व लग्न के जातकों के छोटे भाई-बहिनों को कष्ट, स्वयं के गले तथा कान में समस्याओं के योग बनेंगे। मित्रों से अलगाव की स्थिति प्राप्त होगी। 

तुला राशि- तुला लग्न 

इस राशि व लग्न के जातकों के कुटुंब में क्लेश व तनाव, स्वयं के दाहिने नेत्र एवं दांतों में पीड़ा की सम्भावना रहेगी तथा मुख पर फोड़े- फुंसी आदि होने की सम्भावना रहेगी। 

वृश्चिक राशि- वृश्चिक लग्न 

सिर में चोट- दुर्घटना का भय बना रहेगा, अनावश्यक क्रोध करने की स्थिति से बचें। नशीली वस्तुओं के प्रयोग के कारण आप अपना तथा अपने परिवार का जीवन संकट में डाल सकते हैं, अतः नशीली वस्तुओं के सेवन से बचें। 

धनु राशि- धनु लग्न 

बाएं नेत्र में कष्ट की सम्भावना रहेगी, व्यर्थ के खर्चे बढ़ाने की प्रवृति से बचें। दादी के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। 

मकर राशि- मकर लग्न 

इस राशि व इस लग्न के जातकों के बड़े भाई- बहिनों को लम्बी दूरी की यात्रा पर जाने से बचना चाहिए। 

कुम्भ राशि- कुम्भ लग्न 

इस राशि व इस लग्न के वह जातक जो सरकारी नौकरियों में हैं, उनके लिए यह समय कष्टकारी होगा, ऐसे लोग अपने उच्च अधिकारियों से विवाद की स्थिति उत्पन्न करने से बचें तथा जिन लोगों के सरकारी कार्य अब तक सफलता पूर्वक चल रहे थे, अब उनमे रुकावटें आना आरम्भ होंगी। 

मीन राशि- मीन लग्न  

मीन राशि व मीन लग्न के जातकों के पिता निजी वाहनों के द्वारा लम्बी दूरी की यात्रा पर जाने से बचें तथा इस राशि व इस लग्न के जातक स्वयं भारी सामान आदि को उठाने की प्रवृति से बचें, अन्यथा उनकी कमर व पीठ में समस्या आने का योग बनेगा। 


इन सभी राशि व लग्नों वाले जातकों की जन्म-कुंडली में राहु व केतु यदि शुभ प्रभाव में हुए तथा उनकी दशा-अन्तर्दशा भी शुभ चल रही हों तो उन जातकों को राहु-केतु का परिवर्तन अशुभ फल न देकर शुभ फल ही प्रदान करेगा किन्तु जिन जातकों की जन्म-कुंडली में राहु व केतु अशुभ प्रभाव में हुए एवं दशा-अन्तर्दशा भी अशुभ चल रही होगी, उनके लिए राहु-केतु का यह राशि परिवर्तन अत्यंत विनाशकारी होगा। 

"शिवार्पणमस्तु"

-Astrologer Manu Bhargava