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गुरुवार, 1 अप्रैल 2021

बुध का अपनी नीच राशि मीन में प्रवेश

 


बुध ग्रह 1 अप्रैल 2021 से लेकर 16 अप्रैल 2021 तक अपनी नीच राशि 'मीन' में स्थित रहेंगे, जिसमें वह वहीं पहले से संचार कर रहे 'उच्च के शुक्र' से युति करके कुछ राशियों के लिए नीचभंग राजयोग तो बनाएंगे परंतु अपने से सम्बंधित रोग भी देंगे।


बुध का यह 16 दिनों का अपनी नीच राशि में गोचर जीवों में गले, श्वांस, त्वचा और मस्तिष्क से सम्बंधित रोगों में वृद्धि तथा वाणी से सम्बंधित समस्याएं उत्पन्न करेगा।

अतः जो व्यक्ति पहले से ही इनसे सम्बंधित रोगों से ग्रसित हैं वह अपने चिकित्सकों से परामर्श करके अपनी जांच करवा लें, जिससे समय पर उनको सही उपचार मिल सके।

{बुध के मीन राशि में संचार का 12 लग्नों एवं राशियों पर पड़ने वाला प्रभाव}

(मेष लग्न-मेष राशि)
आपके लिए बुध का यह गोचर आपके छोटे भाई बहनों के लिए अशुभ रहेगा, आप गले की समस्याओं से ग्रसित हो सकते हैं।

(वृष लग्न-वृष राशि)
बुध का यह गोचर आपको अकस्मात धन लाभ दे सकता है परंतु पेट तथा संतान के लिए शुभ नहीं है, अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें।

(मिथुन लग्न-मिथुन राशि)
यदि संभव हो तो इन 16 दिनों के लिए अपने सरकारी कार्यों को टाल दें तथा भूमि, वाहन का क्रय-विक्रय करने से बचें।

(कर्क लग्न-कर्क राशि)
विदेश यात्रा से बचें तथा पिता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें ।

(सिंह लग्न-सिंह राशि)
ससुराल पक्ष से विवाद करने की स्थिति से बचें तथा बड़े भाई- बहन के स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

(कन्या लग्न-कन्या राशि)
जीवन साथी तथा नौकरी से अकस्मात लाभ हो सकता है परंतु जीवन साथी के स्वास्थ्य के लिए यह समय शुभ नहीं है।

(तुला लग्न-तुला राशि)
पिता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

(वृश्चिक लग्न-वृश्चिक राशि)
शेयर मार्केट से अकस्मात ही धन की प्राप्ति हो सकती है परंतु अपने उदर तथा संतान के स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

(धनु लग्न-धनु राशि)
जीवन साथी से भूमि तथा वाहन की प्राप्ति के योग बनेंगे परंतु माता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

(मकर लग्न-मकर राशि)
यद्द्पि इस लग्न-राशि के निर्यातकों को इस अवधि काल में विदेशों में कर्ज देने से बचना चाहिए तथापि उनका विदेशों से भाग्योदय होगा।

(कुम्भ लग्न- कुम्भ राशि)
इस लग्न-राशि के जातकों की संतान को धन लाभ होने की प्रबल संभावना रहेगी परंतु कुटुंब में किसी की मृत्यु का समाचार प्राप्त हो सकता है। इस लग्न-राशि के जातकों को इस 16 दिन की अवधि काल में मुख से सम्बंधित कोई रोग प्रकट हो सकता है।

(मीन लग्न-मीन राशि)
विदेश यात्रा से धन लाभ होगा परंतु स्वयं के स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

विशेष-
जिन जातकों की जन्मकुंडली में बुध शुभ स्थिति में है और उन्होंने किसी 'ज्योतिष और रत्न विशेषज्ञ' के परामर्श से 'पन्ना रत्न' धारण किया हुआ है उनको चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है, उनके लिए बुध का यह गोचर अन्य की अपेक्षाकृत कम समस्याएं लेकर आएगा।

जो जातक अपनी जन्म-कुंडली में बुध की अशुभ स्थिति में होने के कारण पन्ना धारण नहीं कर सकते, वह बुध ग्रह के दान करें, हरे वस्त्रों का प्रयोग न करें तथा श्रीविष्णु सहस्त्रनाम का पाठ एवम गणेश जी की आराधना करें।

"शिवार्पणमस्तु"
-Astrologer Manu Bhargava

बुधवार, 24 जुलाई 2019

Ratan Dhaaran Rahasay रत्न धारण रहस्य


यह सृष्टि का नियम है कि कोई भी जीव अपने शत्रुओं तथा अपना अनिष्ट करने वालों को कभी भी शक्ति प्रदान नहीं करना चाहता, फिर भी ज्ञान के अभाव में 90% व्यक्ति उन ग्रहों का रत्न धारण किये हुए होते हैं जो उनकी जन्म कुंडली में उनका अनिष्ट कर रहे होते हैं ।

इसके पीछे उनका यह तर्क होता है कि रत्न धारण करने से उस ग्रह का अनिष्ट प्रभाव कम हो जाएगा, जबकि सत्य यह है कि रत्न किसी भी ग्रह की शुभ-अशुभ फल देने की क्षमता को कई गुना बढ़ाने का कार्य करते हैं। ऐसे में केवल किसी ग्रह की महादशा-अंतर्दशा आ जाने पर उस ग्रह का रत्न धारण कर लेना कहाँ तक उचित है जबकि वह जन्म कुंडली में अशुभ फल कर रहा हो।

ऐसे ही शनि की ढैया अथवा साढ़े साती लग जाने पर अधिकांश व्यक्ति शनि की धातु माने जाने वाले लोहे का छल्ला धारण करके शनि के दुष्प्रभावों को कम करने का प्रयास करते हैं जबकि उन्हें उस समय शनि की वस्तुओं तथा दिशा से दूर रहना चाहिये।
अनेक बार देखा गया कि जातक स्वयं से ही नवरत्न जड़ित अंगूठी धारण कर लेता है जबकि किसी भी जातक की जन्मकुंडली में 9 के 9 ग्रह शुभ नहीं हो सकते, ऐसे में जो ग्रह उसकी जन्मकुंडली में अशुभ फल दे रहे होते हैं उनका रत्न धारण करते ही उनकी अनिष्ट करने की क्षमता भी कई गुना अधिक बढ़ जाती है।

ऐसे में यह ही कहा जा सकता है कि भला हो बाजार में मिलने वाले नकली और TREATMENT किये हुए रत्नों का जो यदि जातक को कोई लाभ नहीं दे रहे, तो उसकी हानि भी नहीं करते। ऐसे रत्न यदि गलत उंगली में भी धारण किये जायें तो भी वह हानि नहीं कर पाते क्यों कि HEATING और TREATMENT होने के कारण उनमें इतनी शक्ति नहीं रह जाती कि वह किसी को अपना शुभाशुभ फल दे सकें।

ज्योतिष विज्ञान का अध्ययन करने वाले संस्कृत के विद्वानों तथा कर्मकांडी आचार्यों को भी जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति, युति एवम दृष्टि कहीं किसी भाव या ग्रह का अनिष्ट तो नही कर रही है, इन सूक्ष्म बातों का विचार कर लेने के पश्चात ही रत्न धारण कराना चाहिये अन्यथा उनके यजमानों का अनिष्ट भी हो सकता है।

वर्तमान में समाचार पत्रों तथा टीवी चैनलों द्वारा जन्म तथा प्रचलित नाम राशि के आधार पर रत्न धारण करवाने का नया प्रचलन चल पड़ा है जबकि हो सकता है कि किसी व्यक्ति का राशि रत्न वाला ग्रह जन्म कुंडली में उस व्यक्ति का बहुत अनिष्ट कर रहा हो,अतः व्यक्ति को किसी योग्य विद्वान से जन्म कुंडली की सूक्ष्म विवेचना करवा लेने के पश्चात ही कोई रत्न धारण करना चाहिए ,केवल जन्म राशि के आधार पर नहीं, और बोलते हुए नाम के आधार पर तो कदापि नहीं ।

जन्म कुंडली ना होने पर कृपया करके कोई भी रत्न धारण ना करें उसके स्थान पर मानसिक, वाचिक, दैहिक पापों से बचते हुए तथा सात्विक आहार ग्रहण करते हुए किसी योग्य 'वेदपाठी अथवा तंत्र विद्या में निपुण ब्राह्मण गुरुओं' से प्राप्त मंत्रो द्वारा पंच देवोपासना अर्थात "गणेश, दुर्गा, सूर्य, विष्णु तथा शिव" जैसे उच्च कोटि के देवी-देवताओं की उपासना करें, उसी से आपका कल्याण होगा।

''शिवार्पणमस्तु"

-Astrologer Manu bhargava