—Astrologer Manu Bhargava
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गुरुवार, 26 अक्तूबर 2023
ग्रहों का राशि परिवर्तन और चन्द्र ग्रहण २०२३
बुधवार, 27 सितंबर 2023
मंगल-केतु युति २०२३
गुरुवार, 24 अगस्त 2023
प्रेम-वियोग और अध्यात्म
अपने Professional Astrology के कैरियर में अब तक मेरे पास हजारों ऐसी जन्मकुंडलियां आ चुकी हैं जिसमें प्रेम संबंधों में वियोग हो जाने से सच्चा प्रेम करने वाले स्त्री-पुरुष आन्तरिक रूप से इतना टूट जाते हैं कि अपने जीवन जीने की समस्त इच्छा ही समाप्त कर लेते हैं । यदि प्रेम दोनों ही ओर से हो तब तो ठीक है किन्तु यदि एक व्यक्ति प्रेम करता है और दूसरा उसके साथ प्रेम करने का अभिनय कर रहा है तो ऐसे में सच्चा प्रेम करने वाला व्यक्ति अपने साथ हुए इस छल को सह नहीं पाता और स्वयं को चारों ओर से घोर मानसिक दुःख से घेर लेता है । उसे किसी से बात करना, मिलना-जुलना नहीं भाता क्योंकि उसे लगता है कि कोई भी दूसरा उसके विरह के दुःख को समझ नहीं पा रहा है (अपने प्रेमी-प्रेमिका के साथ बिताए गए अच्छे पलों के बार-बार स्मरण होने तथा भविष्य में कभी उन पलों को पुनः न जी सकने का दुःख) ।
रविवार, 13 अगस्त 2023
जीवन में हमारे कुलदेवी/देवता का महत्व...
शुक्रवार, 4 अगस्त 2023
भगवान् श्री कृष्ण की शिव भक्ति...
भगवान् शंकर और मां भवानी के चरणों को प्रणाम करते हुए आज मैं कलियुग के दक्ष बन चुके एक शिव-शक्ति निंदक अधर्मी Cult के मिथ्या प्रचार का अंत करने जा रहा हूँ जो भगवान् श्री कृष्ण को सर्वशक्तिमान परमेश्वर बताकर और उनकी आड़ लेकर भगवान् शंकर और माता भवानी का निरन्तर अपमान करता रहता है ।
सोमवार, 8 मई 2023
मंगल का अपनी नीच राशि 'कर्क 'में प्रवेश (२०२३)—
१० मई २०२३ दोपहर १ बजकर ३९ मिनट पर गोचर में मंगल अपनी नीच राशि 'कर्क' में प्रवेश करने जा रहे हैं और वह १ जुलाई २०२३ प्रातः २ बजकर १६ मिनट तक वहीं संचार करेंगे तत्पश्चात् अपनी मित्र राशि 'सिंह' में प्रवेश करेंगे ।
अपने इस राशि परिवर्तन के साथ ही मंगल स्वयं राहु अधिष्ठित राशि के स्वामी होकर राहु के ही केंद्रीय प्रभाव में आ जाएंगे और शनि के साथ षडाष्टक योग भी बना लेंगे । मंगल-शनि का यह षडाष्टक योग संसार के लिए विशेष पीड़ादायक होता है अतः इस योग का दुष्प्रभाव सभी जातकों के ऊपर पड़ेगा ।
मंगल के नीच राशि में गोचर करने तथा शनि के साथ यह षडाष्टक योग बन जाने से इस अवधिकाल में विश्व भर में हिंसा, आगजनी जैसी घटनाओं में वृद्धि होगी और विश्व भर से ट्रेन पलटना, प्लेन क्रैश होना तथा गैस पाइप लाइन में आग लग जाना जैसी अशुभ सूचनाएं प्राप्त होंगी इसके अतिरिक्त सामान्य से कहीं अधिक सड़क दुर्घटनाएं होने के आंकड़े भी प्राप्त होंगे। अतः विद्वान मनुष्यों को इस अवधिकाल में निजी वाहनों से लंबी दूरी की यात्राओं से यथा संभव बचना चाहिए, घरेलू महिलाओं को गैस सिलेण्डर का उपयोग करते समय विशेष सावधानी रखनी चाहिए तथा आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासन को विशेष प्रबन्ध करने चाहिए।
राहु अधिष्ठित राशि के स्वामी होकर अपनी नीच राशि में रहने के कारण मंगल के दुष्प्रभावों में एक विशेष विध्वंसकारी शक्ति आ गई है जिसके फलस्वरूप ऐसा मंगल गोचर में जातकों की जन्मकुंडलियों के जिस-जिस भावों का स्वामी होकर जिन-जिन भावों में जाएगा और यह सभी भाव शरीर के जिन अंगों, कारक तत्वों तथा सगे-संबंधियों का प्रतिनिधित्व करते हैं उन सभी के लिए हानिकारक सिद्ध होगा।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्मकुंडली में मंगल की अशुभ स्थिति होने से जातक को जो रोग, चोट, दुर्घटनाएं प्राप्त होती हैं, इस अवधिकाल में उसमें अधिकता देखी जाएगी । जन्मकुंडली में १२ भावों तथा मंगल से होने वाले रोगों के विषय में जानने के लिए मेरा यह ब्लॉग देखें
https://astrologermanubhargav.blogspot.com/2020/04/blog-post.html
राहु अधिष्ठित राशि के स्वामी होकर 'मन की राशि' में संचार करते हुए मंगल की मारक क्षमता के प्रभाव से जीवों के मन में हिंसा की भावना जन्म लेगी जिससे इस अवधिकाल में एक दूसरे के प्रति हिंसा में अत्यधिक वृद्धि होगी जिसके फलस्वरूप विश्व भर में हिंसा-रक्तपात और यहां न लिख सकने वाली अनेक अशुभ घटनाएं घटित होंगी ।
मंगल शल्य चिकित्सा का कारक ग्रह है जब यह अशुभ स्थिति में होता है तब विश्व भर में ऑपरेशन होने की संख्या में अत्यधिक वृद्धि होती है अतः चिकित्सकों के लिए यह समय व्यस्ततापूर्ण रहेगा ।
ब्लॉग का विस्तार न हो यह देखते हुए तथा समय के अभाव में सभी राशि-लग्नों वाले जातकों का भविष्यफल इस ब्लॉग में बताना संभव नहीं है अतः मंगल के इस विनाशकारी गोचर से सभी जातकों के बचाव के लिए कुछ उपायों का मैं यहां उल्लेख कर रहा हूँ ।
- हनुमान जी की उपासना करें ।
- रक्त वर्ण की देशी गाय की सेवा करें तथा उसे गुड़ का सेवन करवाएं ।
- मंगल के उस मंत्र का जाप करें जिसके लिए आप अधिकृत हैं ।
- गुड़, घी, लाल मसूर की दाल, तांबे का पात्र, अनार, गेंहू, लाल वस्त्र आदि वस्तुओं का दान किसी ऐसे मंदिर में करें जिसमें शास्त्र मर्यादा का पालन करने वाले वेदपाठी ब्राह्मण विद्वानों की नियुक्ति की गई हो ।
- अपने छोटे भाइयों को उनकी प्रिय वस्तु भेंट करें (ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 'मंगल' छोटे भाई का कारक होता है) ।
- स्वयं रक्त वर्ण के वस्त्र धारण करने से बचें।
"शिवार्पणमस्तु"
—Astrologer Manu Bhargava